"बाबाओं के फेर में"
"बाबाओं के फेर में"
आजकल बाबाओं की खूब
खुल रही दुकान हैं
अंध विश्वास के चलते खूब
चल रही दुकान हैं
जिंदगी के उतार चढ़ाव से,
घबराये हुए लोग
जीवन की सच्चाई से
भागते हुए लोग
सुख ऐश्वर्य की आस में
दुःख हर्ता की तलाश में
बाबाओं की दुकान पर
सुख खरीदने
पहुंच रहे हैं
कुछ अपने दुख से दुःखी
कुछ पराये सुख से दुःखी
परेशान लोग
सुख साधन पाने
बाबाओं के दर पर
माथा पटक रहे हैं
हे बाबा
मेरा धंधा अच्छा चले
बेटे को नौकरी मिले,
बाबाओं से उपाय
पूछ रहे हैं
बाबा बेटी को अच्छा वर दिला दो,
बाबा हमें एक घर दिलवा दो,
गिड़गिड़ा रहे हैं
बाबा समस्याओं को हल कर दो
कोई मंत्र बताओ उपाय कर दो
कोई बाबा कोई गुरु माँ
आशीर्वाद दे दो हमारी
सब इच्छाऐं पूरी हो जायें
सब सपने पूरे हो जायें
बड़े नादान हैं ये लोग
भूल रहे हैं कि,
सुख दुख तो जीवन का हिस्सा है
उतार चढ़ाव जीवन का किस्सा है
जीवन के प्रश्नों का हल
व्यक्ति को स्वयं करना होता है
परेशानियों का हल,
बुद्धि और साहस से होता है
सुखमय जीवन
अपने माता पिता के
आशीर्वाद से मिलता है
तेजोमय जीवन
अच्छे विचारों से मिलता है
ढोंगी माँ ढोंगी बाबाओं की,
कृपा से कहाँ कुछ होता है
अपने आप का भगवान से
रिश्ता बता कर
अपने आप को भगवान का
दूत बता कर
ये बाबा
अज्ञानी जनों के
तन मन धन का शोषण कर लेते हैं
कष्ट मिटाने के उपाय बता कर
अंध विश्वास में फंसा देते हैं
गीता, रामायण के सन्देश से
अनभिज्ञ अज्ञानी लोग
बाबाओं के जाल में उलझ जाते हैं '
अपना धर्म, कर्म भूल जाते हैं
बाबाओं के चक्कर में
आ जाते हैं
अपना सबकुछ गंवा कर
अंततः पछताते हैं।
