बाबा मेरे दीपक, मैं उनकी परछाई...
बाबा मेरे दीपक, मैं उनकी परछाई...
दो दिन पहले जो बीत गया आपका बड-डे,
मम्मा उसको अभी तक मना रही हैं।
बाबा आपके लिए कविता लिख-लिखकर,
आपकी बातें आपको ही सुना रही हैं।
आपको सरप्राइज देने में,
मैं भी मिल रहा हूं मम्मा के संग।
आपके बीते बड-डे और
आज फादर्स-डे सेलिब्रेशन में,
मैं भी भर रहा हूं अपने रंग।
मम्मा को मनाया फट से,
बोल-बोलकर प्यारी मम्मा-प्यारी मम्मा।
फादर्स-डे के मौके पर करदो,
हम दोनों के नाम आपकी कविता का पन्ना।
जैसे ही मैं बोला आ गई टेंशन में मम्मा,
कि कविता मैं क्या लिखना हैं।
वैसे ही मैं बोला कविता तो मैंने बना लीं मम्मा,
आपको तो बस उसे लिखना हैं।*
मम्मा सीखा है जो आपसे,
आज उसके पर्दे खोलता हूं।
मम्मा आप बस लिखते जाओ,
मैं इशारों में बोलता हूं।
बाबा का हूं मैं डेढ़ साल का बेटा,
बाबा का नाम दीपक और मेरा "तुष्टु" निवान।
बाबा आपको फादर्सडे की धोक हूं देता,
और बीते बड-डे का फिर से प्रणाम।
सब कहते हैं मुझे भगवानजी का रूप,
और भगवानजी को मुझमें देखते हैं।
आप कहते हैं मुझे परदादाजी का रूप,
और परदादाजी को मुझमें देखते हैं।
मैं हूं आपकी आंखों का तारा,
आप हो मेरे उजला सितारा।
मैं हूं आपकी मन की खुशी,
आप हो मेरी खुशियों का पिटारा।
लॉकडाउन में चौबीसों घंटे आपके साथ रहकर,
मैं हो गया आपका और भी दीवाना।
आपके साथ ही अब दिन-रात मेरा,
उठना सोना नहाना धोना खेलना और खाना।
आप मम्मा से भी प्यारे लगते,
सारी बातें अच्छी लगती हैं।
आपका दिन शुरू होता है मुझसे,
मेरी रात आप पर ढलती हैं।
मम्मा और सब घर वालों में से,
हमें कोई भी नहीं चाहिए।
बाबा को तो तुष्टु अब,
और तुष्टु को बस बाबा ही बाबा चाहिए।
जब सब कहते, मैं हूं आपके
जैसा मूडी़राम और गुस्सेवाला,
तब आप होना मत बेकाबू।
कोई कुछ भी कहें हम दोनों मिलकर कर लेंगे,
अपनी सब बुराइयों पर काबू।
बाबा आप बन कर मेरा दीपक,
मुझमें आपकी जैसी ज्योत जगा देना।
बाबा बना कर अपनी परछाई,
मुझे आपके जैसा बना देना।