STORYMIRROR

Yani Singh

Drama

4  

Yani Singh

Drama

बाबा के सपने

बाबा के सपने

1 min
26K


जब आँखे खुली

कुछ समझ आया नही

जब होश संभाला

मैंने अपनी उँगलियों को एक शख्स के हाथ में पाया कहीं

मेरा साथ वक़्त बिताने के लिए

मुझे हर तरीके से समझ पाने के लिए

मुझे हर ख़ुशी मुक़र्रर कराने के लिए

तोड़ दिये समाज के बंधन उसने

तब से, मेरे लिए अनमोल है बाबा के सपने।


मेरे बचपन में कदम से कदम मिलाया है

काँधे पर बैठाये हाट भी घुमाया है

अपनी कुछ न कह कर

बस मेरी सुनते रहते

मुझे जो चाहिए वो लाकर दिया

ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव का

मुझपर साया भी न पड़ने दिया

मेरी ख्वाइशें के लिए दिन रात एक कर दिये उसने

तब से, मेरे लिए अनमोल है बाबा के सपने।



होली, दिवाली और जन्मदिन पर

मेरे लिए नए कपड़े बनते

खुद साल में एक जोड़ी कपड़ा सिलाकर

वो मुस्कुराकर गुज़ारा करते

ऐसा लगता था उनकी मेरे अलावा कोई हसरत ही नही

एक रोज़ बातों बातों में पता चला

बचपन से मेरे लिए उन्होंने ख्वाब सजाये है कई

पर अपनी तो कभी कही ही नहो

और मुझ तक हर आराम पहुचाने के लिए

तोड़ दी मेहनत की हदें उसने

तब से, मेरे लिए अनमोल है बाबा के सपने।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama