माँ, मैं घर वापस आऊंगा
माँ, मैं घर वापस आऊंगा
सपने सभी के सच होते है
मैं अपने भी सच कर दिखाऊंगा
किसी रोज़ दुश्मनो से जीत कर
या सरहद पर लड़ते हुए शहीद होकर
मैं भारत माँ के बेटे होने का फ़र्ज़ निभाऊँगा
पर आज का खत
मेरी घर पर बैठी उस माँ के नाम
माँ, मेरा ऐतबार करना
मैं घर वापस आऊंगा।
पापा से कहना दवाइयां टाइम पर लिया करे
हर सुबह जल्दी उठकर वाक किया करे
भैया भाभी को मेरा प्रणाम कहना
छोटू से कहना अच्छे से अपनी पढ़ाई किया करे
नैना को कहना मेरे लिए एक प्यारी सी राखी खरीद कर रखे
अपनी बहू से बोलना
मेरे नाम का सिन्दूर अच्छे से लगाया करे
और थोड़ा खुल कर मुस्कुराया करे
और माँ तुम,
तैयारी करो मैं एक बार फिर तुम्हारी गोद में सोने आऊंगा
माँ, मेरा ऐतबार करना
मैं घर वापस आऊंगा।
यहाँ हर तरफ जंग का माहौल है
चारो ओर सिर्फ "वंदे मातरम" का ज़ोर है
माँ, मैं दुश्मनो से बेख़ौफ़ लड़ जाऊँगा
देखना, मैं अपने देश का परचम हर ऊँचाई पर लेहराऊंगा
मैं एक सैनिक हूँ
देश के लिए हँसते हँसते जान लुटाऊंगा
पर जानती है ना आप कितना ज़िद्दी हूँ मै
घर ज़रूर आऊंगा
अगर अपने दो पैरो पर नही
तो किसी के चार कंधो पर चला आऊंगा
तिरंगे में लिपटा हुआ
बड़ी शान से तुझ तक पहुचाया जाऊँगा
माँ, मेरा ऐतबार करना
मैं घर वापस आऊंगा।
