STORYMIRROR

Priyanka Kumawat

Tragedy

4  

Priyanka Kumawat

Tragedy

औरत

औरत

1 min
300


डर लग रहा है मुझे

इस दुनिया मे जिनें मे

तारों के जहाँ में ही

महफूज रहूंगी मैं


किस पर भरोसा करे

किस पर ना करे

न जाने दरिंदे

किस भेष में घुम रहे


क्यों ना याद रखते की

कि ये भी किसी की बेटी है

औरत है तो क्या हुआ

ये भी एक इन्सान ही है


हम पर नाईंसाफी तो

खुद खुदा ने की है

लिखी ऐसी तकदीर जिस में

दर्दनाक हकीकत लिखी है।



#मनिषा वाल्मिकी


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy