ऐसी ही हू मै
ऐसी ही हू मै
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बडी ही सिंपल सी हू मै... क्या करू ऐसी ही हू मै
किसी के गममे रो देती हू मै.. किसी की खुशी मे झुम लेती हू मै...
कडवी बातोसें नाराज हो जाती हू मै
दुसरे दिन कल की बातें भुल जाती हू मै
कोई दर्द दे तो दुखी हो जाती हू मै
पर फिर भी प्यार बेशुमार करती हू मै
किसी की मिठी बातोसें पिघल जाती हू मै
दिल बडी आसानीने से दे देती हू मै
तिखी बातोसें आगबबुला हो जाती हू मै
मगर अपने है यही सोचके माफ कर देती हू मै
अपने से पहले अपनों के बारे मे सोचती हू मै
मेरे अपने खुश रहे यही रोज प्रार्थना करती हू मै
