औरत
औरत
कोई नुमाइश की
शै नहीं है औरत
एक इबादतगाह का
नाम है औरत
कोई सज़दा जहाँ से
कभी खाली नहीं जाता
मायूस इस दर से
कोई सवाली नहीं जाता
आईने सी रूबरू यह
उतर जाती है दिल में
बानगी इसकी ऐसी है
काँटों सी करती है
यह फूलों की हिफाज़त
फूलों को बचाने
कोई माली नहीं जाता।