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Kanchan Pandey

Abstract

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Kanchan Pandey

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अपनी-अपनी धारणा

अपनी-अपनी धारणा

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अपनी-अपनी धारणा, अपनी-अपनी राह।

जीवन सहे दुख ताड़ना,मुख से निकले आह।।


अपनी-अपनी धारणा,अपना बांचे ज्ञान।

पड़े समय तब जानना, ज्ञानी की पहचान।।


अपनी-अपनी धारणा, अपनी-अपनी बात।

जीवन कहे क्यों हारना, यह मेरी औकात।।


अपनी-अपनी धारणा, अपने हैं आचार।

जग बीच रंक पालना,बनते सब लाचार।।


अपनी-अपनी धारणा, सब मानव के हाथ।

जीवन क्षणभंगुर कहे,जिलो मिलकर साथ।।


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