दोहा
दोहा
१.भुखे भाव हैं प्रेम के, प्रेम कहां से पाय।
बिना प्रेम मन अब कहे,भाव मिले तर जाय।।
२. क्षण क्षण समय न काटिए,समय बड़ा बलवान।
पलक झपकते शाम हो , जीवन मिले श्मशान।।
३.विद्या धन उत्तम कहे,इसको सब कुछ मान।
भौतिक धन हंसकर कहे, विद्या प्रथम जान।।
४.जीवन रंगमंच कहें,अभिनय करें महान।
जीवन पल-पल मिट गई, मिटेगा न नाम।।
५.कर्म सब कुछ करा रहा, कलयुग का सच जान।
जैसा आप कर्म करें, वैसा हीं फल पान।।