Kanchan Pandey
Abstract Classics Inspirational
लम्हा लम्हा वह घुट गया
लम्हा लम्हा वह मिट गया
क्यों याद करें उसे दुख हीं तो था
लम्हा लम्हा वह कट गया।
दोहा
राधा का कान्ह...
मुक्तक
अपनी-अपनी धार...
श्रमिक
चलो स्कूल चले...
अब लाज मेरी तेरे चरणों में, धीरज तनिक बँधा जाओ अब लाज मेरी तेरे चरणों में, धीरज तनिक बँधा जाओ
मैं कवि या कलमकार नहीं हूँ, आम इंसान हूँ। मैं कवि या कलमकार नहीं हूँ, आम इंसान हूँ।
तुम अनभिज्ञ हो अपनी ऊर्जा से उसके प्रहार से तुम अनभिज्ञ हो अपनी ऊर्जा से उसके प्रहार से
ढोल मंजीरा बजा रहे सब, फागुन गाये जोर। नर नारी सब मगन नाचते , जैसे कोई मोर।। ढोल मंजीरा बजा रहे सब, फागुन गाये जोर। नर नारी सब मगन नाचते , जैसे कोई मोर।।
मेरे वो साल महीने ,मुझे वापस कर दे साथ गुजरे हुए लम्हे मुझे वापस कर दे! मेरे वो साल महीने ,मुझे वापस कर दे साथ गुजरे हुए लम्हे मुझे वापस कर दे!
रिश्तों की डोर को कस कर पकड़ना होता है, रिश्तों की डोर को कस कर पकड़ना होता है,
किसान: समझते हो मेरी व्यथा, तो फिर क्यों मुझसे रूठ जाते हो! किसान: समझते हो मेरी व्यथा, तो फिर क्यों मुझसे रूठ जाते हो!
यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है! यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है!
ख़त कोई प्यार भरा लिख देना मशवरा लिखना दुआ लिख देना! ख़त कोई प्यार भरा लिख देना मशवरा लिखना दुआ लिख देना!
तुम्हीं हो मेरी हर इक ग़ज़ल में तुम्हीं प आके ख़्याल ठहरा तुम्हीं हो मेरी हर इक ग़ज़ल में तुम्हीं प आके ख़्याल ठहरा
अपने अनुभव को शब्द देने की चाहत में साहित्यकार बन जाते हैं! अपने अनुभव को शब्द देने की चाहत में साहित्यकार बन जाते हैं!
दिल के दौरे अब ज्यादा पड़ने लगे दिमाग की जगह जो हम इस्तेमाल करने लगे। दिल के दौरे अब ज्यादा पड़ने लगे दिमाग की जगह जो हम इस्तेमाल करने लगे।
बेहतर से बेहतरीन का कुछ ऐसा सफर रहा मुझसे जुड़े जो लाख बन गए मगर मै सिफ़र रहा! बेहतर से बेहतरीन का कुछ ऐसा सफर रहा मुझसे जुड़े जो लाख बन गए मगर मै सिफ़र रहा!
एक तरफा प्यार कभी सुकून तो कभी दर्द देता है। एक तरफा प्यार कभी सुकून तो कभी दर्द देता है।
दर्द में मेरे संग जीना होगा, दर्द में मेरे संग मरना होगा। दर्द में मेरे संग जीना होगा, दर्द में मेरे संग मरना होगा।
सपनों में किलकारी भर दी। एक औरत की जिंदगी, ईश्वर की मानो बंदगी। सपनों में किलकारी भर दी। एक औरत की जिंदगी, ईश्वर की मानो बंदगी।
आने वाले समय में फिर विश्राम ही विश्राम हैं। आने वाले समय में फिर विश्राम ही विश्राम हैं।
आहट मिली बसंत की,बही सुगंध बयार। गरमी आवत देखकर , सरदी हुई फरार।। आहट मिली बसंत की,बही सुगंध बयार। गरमी आवत देखकर , सरदी हुई फरार।।
हम तो हाँड़-माँस के चलते फिरते सिर्फ़ पुतले हैं! हम तो हाँड़-माँस के चलते फिरते सिर्फ़ पुतले हैं!
उसे कहा गया था कि आशाओं को आशा दो उन्होंने नहीं देखा कि वह खुद निराश थी! उसे कहा गया था कि आशाओं को आशा दो उन्होंने नहीं देखा कि वह खुद निराश थी!