दोहा
दोहा
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किसका होता है भला,
जीवन खेले खेल।
सुख दुख का चक्की चला,
मानुष रहा न बैल।।
किसका होता है भला,
जीवन खेले खेल।
सुख दुख का चक्की चला,
मानुष रहा न बैल।।