अफसर बिटिया
अफसर बिटिया
मॉ ,मुझको भी आने दो,
झुले मेंं मुझे भी सो जाने दो.
तेरी ममता की छॉव में
ढल जाऊगी ऐसे मेंं,
जैसे हो परछाई तेरी,
छाई रहूँगी छाया जैसे आँगन मेंं तेरे
आधी रोटी कम ही देना
पर माँ मुझको आने देना,
थक जाएगी जब भी माँ तू,
छोटे छोटे हाथो से पैर भी दबा दूगी
सारे कामों का बोझ खुद ही
धीरे धीरे उठा लूँगी
माँ मुझको भी आने दो
नहीं चाहिऐ खेल खिलौने,
नहीं चाहिऐ टॉफी मिठाई,
भैया के पुराने कपडो में ही
मना लूंगी दिवाली
उसके ही किताबों से मैं
कहलाउंगी अफसर बिटिया रानी
ना कर कोई फिक्र अब मेंरी
सारा हल निकाल लूंगी,
दान दहेज की बात ना कर माँ
सारा जीवन तेरी सेवा में ही निकाल दूंगी
माँ मुझको भी आने दो।