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Radha Gupta Patwari

Abstract

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Radha Gupta Patwari

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अंतर्मन

अंतर्मन

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तुम जब से मेरे अंतर्मन से जुड़े,

मानों ख्वाब सब मेरे अब पूरे हुए।


ये ढलती हुई शाम संदेश तुम्हारा लाई है

तुम एक दिन सब जग छोड़ मेरी होओगी।


माना अभी काबिल नहीं हूँ तेरे प्यार के,

पर वादा है हम तेरे सब सपने सपने पूरे करूंगा।


मैं न कोई कवि हूँ न कोई कलाकार,

बस एक अदना सा इंसान हूँ।


नहीं आता कैसे मनाऊँ-रिझाऊँ तुझे,

बस एक मन है जो सिर्फ तेरा ही गुलाम है।


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