अनोखी गुहार
अनोखी गुहार
तुम गोरी दो या काली दो
भगवान मुझे एक साली दो,
सीधी दो या नखरे वाली दो
साधारण दो या निराली दो
असली दो या जाली दो
भगवान मुझे एक साली दो।
झूठी हो या सच्ची हो
चाहे अक्ल की कच्ची हो
गुस्सा हो या चेहरे पे लाली
हो भगवान मुझे एक साली दो।
मोटी हो या पतली हो
लम्वी हो या छोटी हो
नाच गाने में चाहे निराली हो
भगवान मुझे एक साली दो।
पत्नी तो केवल अर्दांगिनी होती है
लेकिन देती है हरदम गाली,
जीजु जीजु कह कर पुकारे
वो होती है साली,
जब भी जीजु खाने बैठे
लाये प्यार से थाली
मीठी मुस्कान मुहं पै रखे
चाहे पास हो घरवाली,
कुर्सी टेबल खूब सजाए
चाहे जेब उसकी खाली हो
भगवान मुझे एक साली दो।
सुबह उठ के वो चाय पिलाये,
पूड़ी, हल्बा क्यूर खिलाये
खुद हंसे और मुझे हंसाये
मुहं में चाहे उसके गाली हो
भगवान मुझे एक साली दो।
जूते चप्पल वो छुपाये
पैन , सुई की नोक चुबाये
खाट से पल्टी दे गिराए
जेब चाहे मेरी खाली हो
भगवान मुझे एक साली दो।
यह मांग मत ठुकरा देना
मुझे एक साली ला देना
रोज मैं आरती उतारूंगा
सुबह शाम भोग भी लगा दूंगा
मेरी तमन्ना कभी खाली न हो
भगवान मुझे एक साली दो।
नखरे खूब दिखायेगी
जीजु जीजु कह के बुलायेगी
दीदी का मूड़ बनायेगी
घी शक्कर खूब खिलायेगी
नकली दो जा जाली दो
भगवान मुझे एक साली दो।
हरेक की विनती सुनते हो
सुदर्शन की भी फरियाद निराली हो
सुसराल में एक दो साली हो
खूब नाचे गाये सुदर्शन
ढोलक दो या थाली दो
भगवान मुझे एक साली दो।