अनजान चेहरा-अनजान सफ़र
अनजान चेहरा-अनजान सफ़र
आज ख़ुदा का रहम इस साखी पर भी हो गया है
कोई अनजान हंसी चेहरा,सफ़र में साथ हो गया है।
भाग्य भी था उस दिन मेरे साथ,एक सीट पर बैठे थे साथ साथ,
कुछ पल में ही आँखो ही आँखो में इशारा हो गया है,
आज ख़ुदा का रहम इस साखी पर भी हो गया है
कोई अनजान हंसी चेहरा,सफ़र में साथ हो गया है।
बात हुई कहां जा रहे हो आप,मैंने कहा जिधर ले चलो आप
सुनकर वो शर्म से हुई लालइधर दिल मे शुरू हुए जज़्बात,
उनकी मधु जैसी वाणी से ये दिल पगला हो गया है।
जैसे जैसे समय निकलता गया दिल भी आगे बढ़ता ही गया,
कुछ समय मे ही वो दिल का मनमीत हो गया है
आज ख़ुदा का रहम इस साखी पर भी हो गया है।
कोई अनजान हंसी चेहरा,सफ़र में साथ हो गया है।
अनजान सफ़र भले ही था हमारा फ़िर भी विश्वास दोनो में था बहुत सारा
मरते न तो क्या करते हम दोनों,दोनों का ही एक सवाल,एक ही जवाब हो गया है
हौले हौले एक हो गई थी नाव हमारी
वो हमारा,हम उसके
हम दोनों का एक ही किनारा हो गया है।
आज ख़ुदा का रहम इस साखी पर भी हो गया है,
कोई अनजान हंसी चेहरा,सफ़र में साथ हो गया है।
एक जगह रुकी भी थी हमारी बस,वँहा पिया था हमने शरबत खसखस
कम समय मे ही हमारे शर्बत का रंग एक हो गया है,
उनकी मन्ज़िल अब आनेवाली थी पास
दिल पर रख लिया मैंने ज़रा हाथ।
दिल मेरा हो गया था बड़ा उदास
आँखो से न सही,दिल से मेरा रोना शुरू हो गया है,
आज ख़ुदा का रहम इस साखी पर भी हो गया है,
कोई अनजान हंसी चेहरा,सफर में साथ हो गया है।
कुछ सोचकर दिल को मैंने संभाल लिया है,
नम्बर लेकर उनका दिल को मैंने मना लिया है,
वो छः घण्टे का सफर
आख़िर में ख़त्म हो गया है,
हमे देख उनका भी चेहरा रुआ रुआं सा हो गया है।
फ़िर मिलेंगे कहकर वो
एक बिजली सी गिराकर दिल पर
हवा के झोंके सा गायब हो गया है,
आज ख़ुदा का रहम इस साखी पर भी हो गया है,
कोई अनजान हंसी चेहरा,सफर में साथ हो गया है।
पर खुशी मेरी ज़्यादा देर टिकी नहीं
नम्बर लिये थे जिस फ़ोन में,वो नम्बर सेव हुआ ही नही
फ़िर भी वो नम्बर तो में ढूंढ ही लेता,ख़ास की मेरी वो जेब कटती नहीं
वो मेरा श्रृंगार,मेरे सफ़र का प्यार
कुछ देर में ही रेत के महल सा ढह गया है,
आज भी वो सफर याद कर बहुत रोता हूं,
कुछ तो था खास हमारा,जो पीछे छूट गया है।

