अँधेरा है
अँधेरा है
बरसती बारिश से क्या कहूँ अँधेरा है
रौशनी के पैगम्बर से भी क्या कहूँ अँधेरा है
न जाने किस रौशनी की तलाश है मुझे
न जाने किस खुशबू की आस है मुझे
न जाने किस घाट के पानी की प्यास है मुझे !
बरसती बारिश से क्या कहूँ अँधेरा है
रौशनी के पैगम्बर से भी क्या कहूँ अँधेरा है
न जाने किस रौशनी की तलाश है मुझे
न जाने किस खुशबू की आस है मुझे
न जाने किस घाट के पानी की प्यास है मुझे !