अनदेखे सपने
अनदेखे सपने
मन की आंखों से, ओस की बूंद जैसे
जब देखूं आस पास अपने
तिनकों में छिपे कुछ अनदेखे सपने।
बर्तनों में धुले चाय की प्याली के तले,
धुले कपड़ों की छपक से गाड़ियों की धूल से सने,
तिनकों में छिपे कुछ अनदेखे सपने।
दीवारों में चुनवा दिए फटे कपड़ों में सिलवा दिए,
ज़हर जैसे बनवा दिए,
अंधेरी ज़िन्दगी में बादल हैं घनघोर घने,
तिनकों में छिपे कुछ अनदेखे सपने।
अदृश्य हैं ऐसे सुमन करें तमस जिसका चयन
अनमोल सितारों से भरे नयन,
सूखी डारी के ठोस तने,
तिनकों में छिपे कुछ अनदेखे सपने।
तीव्र सूर्य रोशनी के समान अग्रिम है सहकर अपमान
देखें परिणाम ओर बैठें दिल थाम,
हैं ये वो जो ईश्वर ने बगीचे से चुने।
जब देखूं आस पास अपने तिनकों में
छिपे कुछ अनदेखे सपने।।
यह कविता उन सभी दीन, गरीब और पिछड़े बच्चों पर निर्धारित है
जो अपने जीवन में हजारों मुश्किलों का सामना करने के बाद भी
खुश होकर सुख रूपी सफलता को प्राप्त करते है।