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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Tragedy Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Tragedy Inspirational

अनाथ की प्रेम कथा

अनाथ की प्रेम कथा

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🌸 अनाथ की प्रेमकथा 🌸
(एक कथा-काव्य)
✍️ श्री हरि
🗓️ 2.9.2025

बालिका थी कोमल कली-सी,
सपनों में डूबी, लहरों में पली-सी,
जवानी लेकर आई बेक़रारी,
होश गँवाए, सुध-बुध बिसारी।

मदिरा-सा मादक था मौसम,
दिल था प्यासा, अधरों पर प्रेम की सरगम।
कामवासना ने जाल बिछाया,
मासूम दिल उसे समझ न पाया।

🌑

सुनसान जगह मिले दो जिस्म,
लज्जा टूटी, टूटा चाँद-सा गौरव-भान।
कांटों का बीज बो चुकी थी वह,
कलियों का सपना हो गया श्मशान।

लाज-शर्म में पाँच महीने का गर्भ हो गया,
अब तो समय की सीमा चुक गई थी।
चिकित्सक बोले—“अब कुछ नहीं होगा”,
परिवार की आँखों में बिजली गिरी थी।

🌑

सुनसान रात में अनजान नगर की राह चुनी,
माँ ने आँचल से मुँह ढका, नई किस्मत बुनी।
पिता ने होंठ सीं लिए, खामोशी ओढ़ ली,
नियति ने भी उसकी तकदीर सोच ली।

अस्पताल में दीप जला,
नवजीवन का द्वार खुला।
एक बालक का जन्म हुआ,
रोदन से नभ गूँज उठा।

पर ओह!
लाज के कारण, भीड़ से डरकर,
उसको झाड़ी में छुपा दिया।
जिसे कोख में पाल के लाई,
उसी लाल को मंझधार में छोड़ दिया।

🌑

भाग्य का खेल निराला था,
वहाँ से गुज़री ममता-दृष्टि।
किसी अजनबी की आँख पड़ी,
वह शिशु गोदी में उठा लिया।

अनाथालय पहुँचा दिया गया,
जहाँ जीवन की राहें नई बनीं।
किस्मत मुस्कुराई सोने-सा,
दुख की कली भी फूल बनी।

🌑

कुछ दिन बाद भाग्य ने फिर,
उस शिशु पर करुणा बरसाई।
एक सेठानी ने गोद ले लिया,
झोपड़ी की जड़ें हवेली में आईं।

सोने के चम्मच से दूध पिया,
नर्म रेशमी बिस्तर पर सोया।
खेल-खिलौनों की दुनिया पाई,
जैसे स्वर्ग ही धरती पर हो आया।

🌑

बचपन से युवावस्था तक,
शिक्षा ने उसका मार्ग सजाया।
विद्यालय की चौखट पार कर,
महाविद्यालय तक वह आया।

वहाँ मिली जीवन की सरगम,
एक युवती के नयनों में सपने।
प्रेम की पहली किरण उतरी,
आत्मा को दिए अमृत अपने।

🌑

कौन जानता वह है अनाथ?
किसे परवाह उस पीड़ा की?
प्रेम ने तो केवल देखा,
हृदय की निर्मलता की रीति।

वह युवती उद्योगपति की कन्या,
रत्न-सा तेज, सौंदर्य की सरिता।
पर प्रेम ने बंधन तोड़ दिए,
समाज के बंधन सब मोड़ दिए।

🌑

धीरे-धीरे मिलन हुआ,
दोनों के प्राणों का संग हुआ।
एक अनाथ की आँखों में सपने खिले,
उसकी जिंदगानी जैसे स्वर्ग मिली।

अब कोई न कहे उसे बेसहारा,
न कोई कहे तिरस्कृत बंजारा।
प्रेम ने उसकी गाथा रच दी,
अनाथ की कथा अमर कर दी।

✨ निष्कर्ष ✨
जीवन चाहे कितना भी कठोर हो,
भाग्य चाहे कितने भी खेल खेले।
पर प्रेम जब साथ देता है,
तो टूटी डोर भी मोती में ढल जाती है।

अनाथ भी राजकुमार बन जाता है,
जब प्रेमिका का हृदय साथ निभाता है।



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