Priyank Khare

Abstract

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Priyank Khare

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"अमूल्य समय"

"अमूल्य समय"

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अमूल्य है समय व्यर्थ न गंवाइए

हर लम्हों मे यूँ शामिल हो जाइए


बराबर चलता नहीं समय हमेशा

दिनचर्या को यूँ मूल्यवान बनाइये


अहमियत रखता जो समय की

समयानुकूल हैं वो बातें पते की


समय संग जो सखा बन जाता

बीते लम्हों पर वो क्यों पछताता


भूल जाइए यूँ ही बीते पलों को

याद करिये उन हसीन लम्हों को


नित नवीन समय को परखिये

समय के प्रति सजग बने रहिए


यूँ लक्ष्य न विचलित होने पाए

समय की कीमत को समझिए


मेरी जिंदगी भी रेत घड़ी जैसी

गिरती जैसे रेत चलती है वैसी।


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