"नजदीक आ जाओ"
"नजदीक आ जाओ"
यूँ ही क्यों ख़ड़े अकेले
नजदीक आ जाओ
साथ हम सब मिल चलें
यूँ शामिल हो जाओ
दूर तक जो नज़र मेरी
तुम अकेले ही दिखे
गिले शिकवों को भूल
यूँ तुम यार बन जाओ
देख के अंजान क्यूँ
कुछ पहचान बता जाओ
कुछ याद है मुझको भी
मिले थे हम जब बाजार में
बातें हुईं नही थी कुछ
यूँ अपना नाम बता जाओ
मजा ही कुछ और है
मिल बैठे जब हम चार
गले लग जाओ तुम
बाहों में सिमट जाओ!