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Bhawna Vishal

Tragedy

5.0  

Bhawna Vishal

Tragedy

अमेजन :जंगल जल रहे हैं

अमेजन :जंगल जल रहे हैं

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सुना है

जंगल जल रहे हैं

सुना है


सुना है

खिलखिलाती/मुस्कुराती

धरती के खूबसूरत रंगों पे

राख की कालिख मल दी गई है

सुना है,


सुना है

अब उस जमीं पर

सूरज दिन भर

नंगे पैर

मारा मारा फिरता है

छांव का एक टुकड़ा भी

उसको हासिल नहीं

सुना है,


सुना है

घड़ी की सुइयों

की तरह खिसकती

यहां वहां

उछलती फुदकती

परछाइयों को

अंधेरों ने निगल लिया है

अब न कोई हलचल है वहाँ

सुना है,


सुना है

आजकल हवाएँ भी

वहां से

खामोश गुजरा करती हैं

न कोई सरसराहट

न कोई चहचहाहट

मरघट सी खामोशी

वहां दिन रात पसरा करती है

सुना है,


मगर इन

प्यासे गलों

झुलसते परों

और जलते सायों के निशान

सदियों हमारा पीछा करेंगे

और आने वाली पीढ़ियाँ

हमसे पूछेंगी

धिक्कारेंगी हमें

उनकी हर घुटती सांस में

बस बद्दुआएं होंगी

होंगी लानतें

सोचो..


क्या पाया था हमने

क्या छोड़े जा रहे हैं

सच है

एक दिन

समूची मानव जाति को

इन जंगलों की हाय लगेगी।



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