अलि गुंजन
अलि गुंजन
सखि बसंत की बहारों में,
अलि की गुनगुनाहट ने,
प्रिय की याद दिला,
रूला दिया ख्वाब में ।
पीली पीली सरसों में,
बाग और बगीचे में,
ढूंढने की कोशिश कर,
तरसते हैं ख्वाहिश में ।
भेजा है पैगाम मैंने,
खुबसूरत बहारों में,
आ भी जाओ प्रिये,
रोता है मन बयारो में ।
आओ जब तुम मुझसे मिलने,
कुछ फूलों की खुशबू ले आना।
सजा देना मेरी वेणी को,
गेंदें , गुलाब ,मोगरा ले आना।।

