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Neelam Patni

Drama

3  

Neelam Patni

Drama

अलग-थलग जिंदगी

अलग-थलग जिंदगी

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क्यों होती है किसी की जिंदगी

इतनी डरावनी ?

कि सुन के परिंदे के

होश ही उड़ जाए।


क्यों हर किसी को नहीं मिलता

प्यार अपनों से यहाँ जिंदगी में,

वह क्या खाक जीते हैं

जो अपने लिए जीते हैं ?


क्यों लड़कियों को ही

समझनी पड़े दुनियादारी ?

क्यों लड़के ना उठाएँ जिम्मेदारी ?


करते हो क्यों किसी

लड़की को इतना पराया ?

कि वह नाजुक अपने सपने को

कर दो वक्त की रोटी के लिए चल पड़े,


सोचती हूँ इंसानियत मिट गई है ?

ढूंढनी पड़ती है मंजिल

मुसाफिर को खुद, सत्य है

क्यों वह 15 वर्षीय

दो वक्त की खोज में निकले।


जहाँ शहर में न कोई

उसका न वो किसी की,

अपनी भावनाएँ छिपाए चल पड़ी है,


सुन लो दुनिया वालों

बहुत हिम्मत है उसमें

यूं ही कमजोर न समझना,

नारी है वह शक्तिशाली है


उसकी भावनाएँ वही समझे

जिस पर यूँ बीत चली है।

तू क्या जाने मुसाफिर उस की व्यथा

वह किंकर्तव्यविमूढ़ नहीं है,


दृढ़ है शक्तिशाली है,

सुन ले वह नारी है वह नारी है।।


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