मैं और मेरी दुनिया
मैं और मेरी दुनिया
कभी सोचती हूँ ,उन बीती बातों को
तो फिर भी होठों पर हँसी लिए फिरती हूँ ,
दुनिया को क्या परख मेरी ?
मैं सब से अलग हूँ ,
मस्तिष्क के प्रश्न करें विचलित ,
आशा से मन हो किल कित ,
मेरा जैसा देखे क्या कोई ?
कहा ना अलग हूँ तो बस अलग हूँ ,
बेहोशी में मौज लिए फिरती हूँ ,
खामोशी में जवाब लिए फिरती हूँ
हँसी- हँसी में हर गम लिए चलती हूँ ,
रूआशा में उम्मीद ढूंढ लेती हूँ
यूं ही ना समझ पागल मुझे ,
मैं मासूम पर बेवकूफ नहीं
ना समझना कमजोर
नहीं इसकी हकदार नहीं हूँ
मैं एक खुशकिस्मत आत्मा हूँ ,
जिंदगी में खुशी ढूंढो तो जीने में मजा है
पैसे से तो अमीर भी खुश ना रहे ,
कई लोग मिलेंगे हताश करने
उम्मीद रख वक्त पर जवाब दे उन्हें...