अक्सर उस चाँद तले
अक्सर उस चाँद तले
अक्सर उस चाँद तले मैं बैठ जाता हूँ
घंटो अपलक तुझे ही देखा करता हूँ
एक बार तूने ही कहा था
गर देखना हो मुझे, तो चाँद देखना
क्योंकि जितना निकलता यह तेरे घर
उतना ही दिखता मेरे घर
सालों साल क्रम निरंतर अब
तक चला आ रहा है
चाँद से पूछता अभी तक
कि जो लड़की चाँद में मुझे दिख रही
क्या वह वही है
एक नरम हवा का झोंका तब बतलाता
हाँ यह वही है
देखो, वह हँस दी
चाँद भी खिलखिला जाता