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Manju Rani

Abstract Action Inspirational

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Manju Rani

Abstract Action Inspirational

अखंड ज्योत-सी जल

अखंड ज्योत-सी जल

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अखंड ज्योत-सी जल,

धरा पर अंगद-सा पाँव धर,

आसमान  मुट्ठी में धाम,

तुु चल,  बस तू चल।

देेर एक क्षण की बिना करे,

तूू चल , बस तू चल।


उसका घमण्ड चूर कर,

अपने अहम् की लगाम पकड़,

अपने स्वाभिमान की स्वमं ही रक्षा कर।

स्वयं ही कृष्ण बन,

अपनी द्रोपदी की लाज धर।

राह देख न किसी की

स्वयं उठ ,स्वयं चल, स्वयं को ग्रीवा  लगा,

सिंहनी-सी दहाड़ दे,

घायल शेेेेरनी- सी ज़़गल को डरा दे।


अपने लक्ष्य की ओर

लूूूतिका-सी बढ़ चल,

हज़ार  बार गिरे,

हज़ारों  बार उठ,

हज़ारों  मशालें जला दे,

तू ऐसी  आग लगा दे 

तूू ऐसी आग लगा दे।


मृृग-सी  दौड़,

बस दौड़, बस दौड़,

म॔जिलों को पार कर ले।

जो सहे  पीड़ा प्रसव की

दर्द रोके न राह उसकी।

अपने पर  विश्वास धर,

असंभव  की चादर चीर कर,

बढ़ चल, बढ़ चल, बढ़ चल।


पहाड़ों  को काटती,

तू नदी- सी बह चल,

किनारों को काटती,

तूूूफ़ानों का मुख मोड़ती,

बह चल,बह चल,बह चल।

जरूरत  पड़़े तो काली बन

अंंतः  शत्रु पर भी प्रहार कर,

तू अखंड ज्योत-सी जल।


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