अकेलापन
अकेलापन
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यूँ तो हर कोई कभी तनहाइयों से डरता था,
जब से आया है इंटरनेट और मोबाइल हाथ में,
कोई तन्हा रहा है कब है,
वक़्त गुजार लेते है सब अपना मोबाइल पर ही,
कभी दोस्तों से चैट करते है, कभी फेसबुक पर,
कभी इंस्टाग्राम कभी मेस्सनगर पर तो कभी गूगल पर,
कोई ना कोई कहीं ना कहीं बिजी रहता है,
कोई योर कोट पर तो कोई स्टोरी मिरर पर वक़्त
गुजार रहा,
तनहाइयों से अब कोई नहीं डरता,
तनहाइयों से हर किसी ने कर ली है दोस्ती,
पर इस इंटरनेट की वजह से बुजुर्ग हमारे हो गए है परेशान,
उनको लगता है दुश्मन ये मोबाइल और इंटरनेट,
उनके बच्चे उनके साथ नहीं मोबाइल के साथ वक़्त गुजार रहे,
इसलिए थोड़ा सा वक़्त उनको भी दे दो,
ज़िन्दगी उनकी है आखरी पड़ाव पर,
उनको ना उदास करो ।