अज़नबी की तरफ़।
अज़नबी की तरफ़।
वो बेवफ़ा निकली हमें छोड़ गई,
ज़िन्दगी हमारी बना जहन्नुम गई।
आँखों पर बैठाया सारी ज़िन्दगी,
वो अब हमारी तरफ़ देखते नहीं।
अजनबी की तरफ़ प्यार से देखा,
हमें घूरते हुए करती अशिष्टता है।
माना सुंदर बहुत-बहुत लगते तुम,
हम भी कुछ कम तो नहीं है सनम।
सदैव तुम्हीं रहते ही छत पर सनम,
हम ठहरे धरती के इंसान तो सनम।
तुम्हें आया कोई अजनबी ही पसंद,
पहले तो तुम्हें हम ही ज़्यादा पसंद।