ऐसी भी वैसी भी
ऐसी भी वैसी भी
जिंदगी तो आखिर जिंदगी होती है
तरह-तरह से संजोती है
ऐसी भी होती है
वैसी भी होती है❗
कभी सच्ची
कभी झूठी❗
कभी आदिल
कभी संगदिल सी❗
कभी फिक्रमंद
कभी बेपरवाह सी❗
कभी डोर तो
कभी पतंग सी❗
कभी हार
कभी जीत❗
कभी चुप
कभी मचलती❗
कभी आगोश में
कभी फिसलती❗
कभी फैलती
कभी सिकुड़ती❗
कभी हंसाती
कभी रूलाती❗
कभी रात
कभी सहर सी❗
कभी उलझती
कभी सुलझाती❗
कभी बुझती
कभी सुलगती❗
कभी बूंद बूंद
कभी सागर सी❗
कभी भागती-दौड़ती
कभी थमी थमी सी❗
कभी रूठती
कभी मनाती❗
कभी सख्त
कभी नर्म सी❗
कितने लोग उतनी नजरिया , कितनी जगहें उतने किस्से , कितना प्यार उतनी नफ़रतें , कितने रंग कितने संग.......❗
जी लो जी भर कर आज को
कोई शिकवा कोई शिकायत न कर
कल का तू इंतजार न कर ,❗
ऐ ऐसी भी होती है
ऐ वैसी ही होती है....❗❗
__अपर्णा🍁