STORYMIRROR

vishwanath Aparna

Children Stories

2  

vishwanath Aparna

Children Stories

न जाने अब कब......... -------

न जाने अब कब......... -------

2 mins
2.7K


अब तो बच्चे भी पूछने लगे

मां हम कब स्कूल को जाएंगे।।


ओहो जल्दी करो जल्दी करो

हर ऑटो की आहट पे यूं मां का चिल्लाना

न जाने अब कब हम ये तराना सुन पाएंगे।।


अपने स्कूल के यूनीफार्म को छूकर

न जाने अब कब हम फिर से इन्हें पहन पाएंगे।।


दिवारों पे टंगे टाई और आईकार्ड

तुम्हें हम कब गले से लगा पाएंगे।।


कब घड़ी सुबह सुबह की अलार्म बजाएगी

कब हम स्नूज़ बटन को दबा पाएंगे।।


देखो तो इन खाली पड़े टिफिन डब्बों और 

पानी के बोतलों को।

 न जाने अब कब हम इन्हें भर पाएंगे।।


कॉपी, पुस्तक, लेखन सामग्री

मानो बिछड़ गए हो बस्तों से।

न जाने अब कब हम इन्हें 

 साथ मिला पाएंगे।।


काले सफेद स्कूल के जूते

धूल खा रहे पड़े पड़े

न जाने अब कब हम इन्हें चमका पाएंगे।।


सोमवार से शनिवार तक टिफीन में क्या ले जाएंगे

न जाने अब कब हम अपने दोस्तों से शेयर कर पाएंगे।।


न सोचा था आॉनलाइन स्क्रीन में पढ़ पढ़ कर 

यूंकर उकता जाएंगे

कि स्कूल के ब्लैक बोर्ड को देखने के लिए भी तरस जाएंगे।।


टच स्क्रीन से उंगलियां भी उकता सी गई है

पूछती हैं न जाने अब कब हम श्याम पट्ट को छू पाएंगे।।


बहोत हो चुकी आंख मिचौली सी ये पढ़ाई

न जाने अब कब हम अपने शिक्षकों से रूबरू हो पाएंगे।।


भूल गए हम वो अठखेलियां वो मस्तियां जैसे

न जाने अब कब स्कूल के प्रांगण के वो दिन वापस आएंगे।।


तरस सी गई है मानो अब कान भी 

उदास सी रहने लगी हैं, कहने लगी हैं।

न जाने अब कब हम स्कूल की घंटी सुन पाएंगे।।


हे भगवान बस इतनी सी अरज हमारी

स्कूल को हम तक बहोत ला चुके।

अब हमें स्कूल तक जाना है

अपनी समझ-बूझ और धैर्यता से

हमें करोना को हराना है।

नियमों का पालन करते हमें स्कूल को जाना है।।


Rate this content
Log in