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Phool Singh

Horror Classics Thriller

4  

Phool Singh

Horror Classics Thriller

ऐसा वक्त भी आयेगा

ऐसा वक्त भी आयेगा

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क्या, कभी सोचा किसी ने, वक़्त ऐसा भी आयेगा

पानी बिकेगा बोतल में, कैद, इंसान घरों में हो जायेगा।।


तरस जायेगा पौष्टिक आहार को, अन्न, लिफाफो में पायेगा 

परिधान भी होंगे उसके छोटे, इंसान, अर्द्धनग्न हो जायेगा।।


स्वार्थपूर्ति हेतु बनेंगे रिश्ते, चलन, एकल परिवार बढ़ जायेगा

बड़े-बूढ़े सब बुरे लगेंगे, भेज, वृद्धाश्रम में उन्हे जायेगा।।


श्मशानों में अर्थी होगी, न होगा, बिन रिश्वत के दाहसंस्कार

मुखाग्नि को इंकार करेंगे, खुद के अपने लाल।।

  

संस्कार सारे बदल जायेंगे, ईश्वर, धन हो जायेगा

गिड़-गिड़ायेगा, भीख मांगेगा, न मदद कोई आयेगा।।


धर्म-कर्म सब नाम-दाम के, इंसान नास्तिकता अपनायेगा 

मानवता सब भूल जायेंगे, इंसान, अकेला खड़ा रह जायेगा।।


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