ऐ भारत की बेटी
ऐ भारत की बेटी
ऐ भारत की बेटी
ऐ भारत की बेटी तुझको
बलि बेदी पर चढ़ना होगा,
कब तक ऐसे ही घुट घुटकर
तुझको जीना मरना होगा
तू तब तक सावित्री है
जब तक तेरा सम्मान रहे,
बन जा चण्डी काली दुर्गा
अब और नहीं अपमान सहे,
फिर ना कोई दुर्गम हो यहाँ
ना शुम्भ निशुम्भ भी छाया हो,
अपने अस्तित्व के खातीर तुझको
अब खुद से ही लड़ना होगा
इतना साहस किसमे है जो
तेरे बजूद को रोक सके,
है कौन यहाँ फिर रक्तबिज
जो आकर तुझको टोक सके,
ना हो कोई भी दुःशासन हो
जो द्रौपदी का फिर चीर हरे,
कलयुग हैं ये अब कृष्ण नही
खुद ही वध तुझको करना होगा ---
ना फिर कोई निर्भया यहाँ
यूँ सड़को पे लूटी जाये,
ना फिर कोई भंवरी देवी
यूँ राजनीती में पीसी जाये,
ना फिर कोई मासूम यहाँ
अश्लील नजर देखि जाये,
शर्म करो इन्सान हो सब
सम्मान तुम्हे अब करना होगा !!