अगर ख्वाब ना होते
अगर ख्वाब ना होते
अम्बर के तारों में टिमटिमाहट न होती
चंदा की चन्दिनी में चमचमाहट न होती
सुर्य की तपन में गरमाहट न होती
जगती हुई आँखो में अगर ख्वाब न होते
ठंढी सी ब्यार में इठलाहट न होती
मेघ के धड़कन में गड़गड़ाहट न होती
वारिश की बूंदों में झमझमाहट न होते
जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते
चिड़ियों की बोली में चहचहाहट न होती
पेड़ों के पत्तों में सरसराहट न होती
फूलों के कली में खिलखिलाहट न होती
जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते
भवरों की गुंजन में भनभनाहट न होती
बच्चों के चेहरे की मुस्कुराहट न होती
राही के गीतों में गुनगुनाहट न होती
जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते
दुल्हन के घूँघट में शरमाहट न होती
गाँव की गोरी में छमछ्माहट न होती
प्रणय हृदय में प्रेम की आहट न होती
जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते।