अगर हो सके।
अगर हो सके।


तुम मुझे क्यों दिल से निकाले जाते हो
मुझे फिर गले से लगाना अगर हो सके।
मैं तेरे दुपट्टे का कोना थामे रहता हूँ
तुम हाथों को थामे रहना अगर हो सके।
मैं तो सफर में गिरता चलता रहता हूँ
तुम ऐसे ही साथ देते रहना अगर हो सके।
कुछ फुर्सत के पल मुझे अब भी पुकारते है
तुम कभी फुर्सत से मिलना अगर हो सके।
मेरी पलकों की सतह पर, कोतुहल सा है
मेरी वीरानियों में दखल देना अगर हो सके।