अधूरी मुहब्बत
अधूरी मुहब्बत
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कुछ बातें रह गयीं अधूरी
वह तलब मुलाकात की रह गयीं अधूरी
जब आया नजर व सामने
मेरी सांसें रह गयीं अधूरी।
वो कहता रहा मै सपने संजोती रही
न जाने कब व तन्हा छोड़ गया
और मै इन्तजार करती रहग यी।
मेरे तन्हाई के चलते किसी की महफिल सजी
ख्वाब पे किसी की महल बनी
खामोश नम आंखों से मै सोचती रही....
मेरी मोहब्बत तो रह गयी अधूरी।