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Satyam Prakash

Drama Tragedy

3  

Satyam Prakash

Drama Tragedy

अधूरा इश्क

अधूरा इश्क

1 min
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इश्क को हम जानकर

अनजान बनकर रह गये।


यार के हम सामने

नादान बनकर रह गये।


होता नहीं ये बार-बार

कि जब आँखों में महबूब थे।


और दिल में तन्हाई थी

भीड़ के वो रास्ते

सुनसान बनकर रह गये।


मंज़ूर हो तो वक्त दो

मजबूर हो तो वक्त लो।


वक्त के कुछ काफ़िले

रमज़ान बनकर रह गये,


वक्त के कुछ दायरे शमशान

बनकर रह गये।


जब आँखों में महबूब थे

न हो सका तब इंतजार


जब सामने महबूब थे

न हो सका तब इज़हार।


सारे तारों को संजो के

आसमान बनकर रह गये।


वीरान दिल के मुल्क के

सुलतान बनकर रह गये।।


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