STORYMIRROR

Satyam Prakash

Fantasy

3  

Satyam Prakash

Fantasy

नियंत्रण -1

नियंत्रण -1

2 mins
334


रात गहरी थी, मैं चादर तान के सो रहा था

बाहर भीषण बारिश से कोलाहल सा हो रहा था


धड़ाम


मैं नीचे, बिस्तर ऊपर

आंख खुली तो देखा सामने एक परी थी

काले पंख थे उसके और हाथ में छड़ी थी


हौले से मुस्कुराकर

पर बोला उसने चिल्लाकर


नियंत्रण

चुनो सुख या दुख

सुख स्वतः ही मुख से उमड़ आयी

बहुत अच्छे फिर मिलेंगे कहके उसने छड़ी घुमाई


जब जागा तब मैं बिस्तर पे था बदहवास सा

मन में थी उमंगे, तरंगे थीं उल्लास का


यह उछल कूद अजीब लग रहा था

पर सोचा आदत नहीं है ना इसलिए


तो चलो इसकी छानबीन करते हैं

बहुत सारे दोस्त बनाते हैं

इस बरसते बादल में भीग जाते हैं

पंछियों को अपने गीत सुनाते हैं

और अपने हाव भाव कम थोड़े ना हैं

तो उन्हें कुछ नए डांस -स्टेप दिखाते हैं


पर अंत में तय हुआ कि

दोस्तों को फोन लगाते हैं

और पिज़्जा हट


होके आते हैं


तो हमने पांच मिनट के अंदर कैब बुलाया

और छह मिनट में अंदर पैर जमाया


शुरू तो की हमने बकवास ही

पर माहौल में आज अंदाज था

हँस रहे थे सबके चेहरे देखकर

जैसे आंखों में कोई राज़ था


बातों ही बातों में किसी ने फरमा दिया

कुछ इस तरह वो हमारी बाहों में झूल गए

अरे टाइम देखो यारों हम ऑडर देना ही भूल गए


और सबने मिलकर ऑडर का काम उसे थमा दिया


तो अंत में

बड़ी मुश्किल से हम घर लौट आएं

मैं बिस्तर पर सोचता रहा अगले दिन

दुख चुनूंगा और आंख लग गई


वह सपना था या सच्चाई

अंधेरे से फिर वही आवाज आई


नियंत्रण


Rate this content
Log in