अधिकार
अधिकार
अजन्मी बच्ची की पुकार,
सन्तान हूँ तुम्हारी, फिर क्यों मुझसे प्यार नहीं
बेटी हूँ बेटा नहीं, क्या इसीलिए स्वीकार नहीं
बेटी हूँ तो क्या मुझको
दुनिया में ,आने का भी अधिकार नहीं!
जीवन ही तो है ना ये, ये कोई व्यापार नहीं
फिर क्यों तोलो बेटा- बेटी, ये अच्छा व्यवहार नहीं
बेटी हूँ तो क्या मुझको
दुनिया में ,आने का भी अधिकार नहीं!
ईश्वर की रचना मैं भी, इससे तो इनकार नहीं
मैं ना रहूंगी, तो देखना, रहेगा ये संसार नहीं
मार डालना कोख में,क्या हत्या-दुर्व्यवहार नहीं
बेटी हूँ तो क्या मुझको
दुनिया में ,आने का भी अधिकार नहीं!