"अधिकार"
"अधिकार"
बड़े सयाने आज के युवा कुछ ज्यादा ही सजग है
लेने को संविधान से अपने मौलिक अधिकार,
विडंबना पर देखो ज़रा भी इनको नहीं है निष्ठा से
मौलिक कर्तव्यों को निभाने से सरोकार।
ना संविधान की परवाह इन्हें, धज्जियां उड़ाते इसकी
कहो कुछ तो कहते, है उनका अभिव्यक्ति का अधिकार,
अभिव्यक्ति के नाम पर देश के प्रतिष्ठित पदों पर बैठे लोगों पर
अपमानजनक शब्दों से करते प्रहार।
जितनी जल्दी है इन्हें पाने की अपने सारे अधिकार
और सुविधाएं सरकार से मुफ्त में अपार,
क्यों नहीं है तत्पर करने को मतदान जो है
सबसे महान अधिकार चुनने को योग्य सरकार।
मन को व्यथित करती है कुंठित विचारधारा इनकी
कर्तव्य हीनता की और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार,
सबसे पहले एक निष्ठावान नागरिक बनो देश के, करो मतदान,
निभाओ आचार विचार, उसके बाद माँगो अधिकार।