अच्छा हुआ हम जिंदा नहीं
अच्छा हुआ हम जिंदा नहीं
काश अगर हम जिंदा होते तो भारत का रूप कुछ और ही होता,
सच्चाई की राह पर चलने का सब को पाठ हम पढ़ाते,
झूठ फरेब फिर सब से दूर होता,
भ्रस्टाचार का फिर नामो निशान ही ना होता,
तरक्की की राह पर हमारा भारत होता,
सारे जहान से प्यारा हमारा भारत होता ।
ये भेद भाव की राजनीति ना हम पनपने देते,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई भाई होते,
धर्म के नाम पर हम सबको बँटने ना देते,
सब को आज़ादी के लिए दी गयी कुर्बानियों की याद दिलाते,
दिलो में सब के प्यार की ज्योत जलाते,
मिल जुलकर रहने का पाठ पढ़ाते,
सारे जहान में शान से जीने की प्रेरणा देते ।
बड़ी मुश्किल से पाई है आज़ादी हमने
सबको आज़ादी के किस्से सुनते,
हमने सहे थे जो जुल्म गुलामी की राहों पर
वो हर किस्सा सुनाते,
भटके हुए इन लोगो को फिर से सही राह दिखाते,
अच्छा हुआ हम जिंदा नहीं आज के इस भारत में,
वरना हर पल सर झुक जाता
हमारा और हम शर्मिंदा होते।