अभिलाषा
अभिलाषा
अभिलाषाओं के दीपक स्वयं जलाए रखना,
पंख लगाकर स्वप्नन में उड़ान स्वयं ही भरना।
नील गगन में तुम अपना ध्वज फहराए रखना,
भर के साहस की आंधी खुद में उत्साह भरना।
कठिन राह हो तो भी तुम आह कभी ना भरना,
काँटो की क्यारी को तुम फूल बनाकर रखना।
चिंगारी अग्नि की धुँध में तुम कभी ना फँसना,
बन पवन की आवोहवा प्रकृति में फैले रहना।
बुनकर बंजर जमीन को दुल्हन सा सजाना,
अपनी मंजिल को सदा अपना जीवन बनाना।
उद्देश्यों का तार जीवंत स्वयं से जोड़े रखना,
ऊंचाइयों को छूकर भी तुम अहंकार ना भरना।
मतभेदों की आड़ में तुम कभी गलत ना बनना
भेदों की पहचान परख स्वयं को परे रखना।