अभी बाकी है
अभी बाकी है
सूरज खंजर की तरह उतर रहा ज़मीं के सीने में
मिजाज़ का तो कत्ल हुआ
मायूसी छाना अभी बाकी है
जेहन में मुद्दतों की प्यास रात के उस ख्वाब की
पर अफ़सोस तनहाई का सन्नाटा चीरती
एक शाम अभी बाकी है
ये लम्हा नहीं रवानगी का इस महफ़िल से
रुक-ए-नादान गफलत में कहाँ चला
और एक जाम अभी बाकी है
ज़ाहिद हो कर जहाँ से इस समां की
महक में डूब जा, सुरूर चढ़ने दे, आखिर
कदमों का लरजना अभी बाकी है
मयखाने में बैठकर, ख़ुदकुशी की बात करता है
जो ज़िंदगी तू जी चुका उसे रुख़सत कर
एक कतरा जीना अभी बाकी है
बदनाम गलियों में आना तेरा,
पर तेरी आँखों में नूर वहाँ का,
अलविदा! इस जहां से, उस जहां में
तेरा नाम अभी बाकी है।