अभी बाकी है
अभी बाकी है
अभी बाकी है दीन दुखियों की पुकार
अभी बाकी है जन शोषण की खुमार
अंतर मन में चल रहे हैं अभी अंतर्द्वंद
समाज बंट रहा कहने सुनने को तंज
धधक रहे हैं ज्वाला अभी अंतर मन में
जागेंगे सोते हुए मन, की हुंकार अभी बाकी है I
रोक ले जालिम अभी वक्त तेरे ही मुट्ठी में
ठोंक ले पेट जालिम हर छीका तेरे ही खूंटी में
दाने दाने का मोहताज कब तक पेट दबायेगा
अपने नन्हें की आंसू ,कब तक मुँह में चंटायेगा
ले लेगा अपने मेहनत का दाम वो इसी जनम में
चवन्नी तूने दिया अभी, पूरा पगार बाकी है.I