अब ये क्यूं होता है?
अब ये क्यूं होता है?
सूरज पहले जितनी गर्मी देता था,
वो अभी भी उतनी ही गर्मी देता है,
अब धरा, क्यूँ इतनी तपित होती है,
कभी सोचा है?अब ये क्यूॅ होता है।1।
पर्वत से नदियाँ पहले भी बहतीं थी,
अब भी वैसे ही लहरा कर बहती हैं ,
गर्मी में सूखी, वर्षा में बाढ लाती हैं।
कभी सोचा है? अब ये क्यूॅ होता है।2।
पहले खेत में कम पैदावार होता था,
वह तनमन से स्वस्थ रहा करता था,
अब सुपोषित हो रुग्ण रहा करता है,
कभी सोचा है ? अब ये क्यूँ होता है।3।
सोचो ! दिल दिमाग लगा कर सोचो,
बीमार सोच से उबरने की कुछ सोचो,
लालच से, तो कहीँ वर्जनायें टूट रहीं,
विकार ,मन मस्तिष्क दूषित कर रहीं।4।
खुदगर्जी में पैरों में कुल्हाडी मारा है,
कुविचारों से भरा ,ये समाज सारा है,
नियति चल कर,चुपचाप कह देती है,
न बदले तो खतरा है,यह संकेत देती है.।5।