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अब तो

अब तो

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ज़माना और था वो जब वादों पर मर गुजरते थे,

मगर वादा निभाने की रवायत भी नहीं अब तो।

 

वो बचपन की मस्ती थी की खुल कर मुस्कुराते थे,

मगर आंसू बहाने की इज़ाज़त भी नहीं अब तो।

 

दुनिया भर की शिकायतें मैं सब तुमसे ही करता था,

जो तुम ही छोड़ गए तो कोई शिकायत भी नहीं अब तो।

 

सुनता था मुहब्बत में होता है सब जायज,

ज़माने में मुहब्बत ही मगर जायज नहीं अब तो।

 


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