कोई और बात है
कोई और बात है
ना ग्रहण जैसा कुछ है, न अमावस की रात है
उस पर भी चाँद गायब...
बादल में छुपा है, या कोई और बात है...
न वो आये... न उनका खत... न किसी पैगाम का अंदेशा
कोई और साथ है, या कोई और बात है...
शोर बहुत होता है, इस शहर में तुम्हारे..
सब आबाद हैं, बर्बाद हैं या कोई और बात है...
हर मन्नत, हसरत और शिद्दत से चाहा उसे...
मगर वो मिल नहीं पाया…
ये उसकी ख्वाहिश है, ज़माने की साजिश है
या कोई और बात है...
तुम्हारी आवाज का हर दर्द, दूर.. मीलों दूर सुनता हूं...
तबीयत खराब है... खुदा नाराज है...
या कोई और बात है...
इश्क़ की राहों पे... पसरा क्यों है... सन्नाटा
सब मर गए...सुधर गए ...
या कोई और बात है...