अब साँसे घुटने लगी
अब साँसे घुटने लगी
हुआ है क्या ये शहर को मेरे
क्यों साँसे अब घुटने लगी
क्यों मजबूर हर कोई हो गया
क्यों बस अब ज़िन्दगी मोहलतो में बसरने लगी
पानी को अकेले बिकता देख
मजबूरन अब हवा भी बिकने लगी
दिल वालों की नगरी मैं
इंसानियत की कमी सी खली
देखा मैंने अपने शहर को
पल पल मरते हुए
देखा मैंने एक माँ को अपने बच्चे से बिछड़ते हुए
कहीं ईमान बिकता दिखा
कहीं इंसान बिकता दिखा
एक एक सांस के लिए
घर घरौंदा बिकता दिखा
कोई दुआ मांगता रहम की
कोई ज़िन्दगी की भीख मांगता दिखा
कहाँ लाकर खड़ा कर दिया मेरे खुदा
इंसान इंसान के करीब जाने से डर रहा।