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himani goel

Abstract

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himani goel

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मेरी कलम

मेरी कलम

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जब भी कलम से मेरी 

दर्द निकलता है 

जाने कितनों को सुकून मिलता है 


किसी की कहानी का 

हिस्सा हो जाती हूं 

पल पल साथ रहे 

ऐसी हमसफ़र हो जाती हूं 


किसी के लिए गुनहगार 

किसी के लिए सजा के काबिल हो जाती हूं


मेरी कलम से लिखे जज़्बात

किसी को अपना किस्सा

किसी को अपना हिस्सा लगते हैं 


किसी का दर्द छलकता है

किसी को मोहब्बत पे इकरार 

किसी को इनकार होता है 

कोई आखिरी दो पल मैं ज़िन्दगी जी लेता है 

कोई ज़िन्दगी मैं पल पल मरता है 

पर कुछ तो होता है 

जब मेरी कलम से दर्द निकलता है 


किसी के दिल का गुमान हो जाती हूं

किसी के चेहरे की मुस्कान हो जाती हूं

किसी को ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखाती हूं

किसी को तजुर्बा दे जाती हूं

कभी किसी की कहानी का अगला अंश हो जाती हूं

किसी की कविता का भाव बन जाती हूं

किसी की बेचैनी का सुकून

किसी के अतीत मैं दस्तक दे आती हूं

कोई झुंझला जाता है

कोई सिमट जाता है

कहीं प्यार उमड़ता है

कहीं बस यूं ही कोई किसी से बिछड़ जाता है


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