अब रोता क्यों है
अब रोता क्यों है
अब रोता क्यों है...
प्यार तूने खुद चुना, इकरार करके खुद सुना,
ख़ुशियाँ का जहाँ तेरा, दर्द का जहाँ क्यों मेरा,
अब सब्र का बांध क्यों टूट रहा है तेरा ओ सवेरा,
अब रोता क्यों है...
नही कोई मंज़िल है तेरी, न कोई रास्ता मेरा,
चलते जाना है सफर, तनहा है कारवां मेंरा,
अब कोई टुटे या बर्बाद हो जाये सोचता क्यों है,
अब रोता क्यों है...
ज़िंदगी को जीना है कैसे, हर ज़हर पीना कैसे,
तू सब समझ गया तनहा, कौन मेरा अपना यहाँ,
अब सब जानकर स्याम का धागा तू पिरोता क्यों है,
अब रोता क्यों है...