अब की बार रण होगा
अब की बार रण होगा


बस करो कि बहुत हो चुका,
अब और ना हम से होगा,
कहो रहे कि मौन हम कब तक
अब की बार रण होगा।
हर बार हमने चाहा,
कि हम तुम्हें माना ले,
कर के हृदय बड़ा हम,
अपना तुम्हें बनाले।
विश्वास मेरा अब के,
तेरा घात ना सहेगा
कहो रहे कि मौन हम कब तक
अब की बार रण होगा।
धीरज बांधा कि हमने,
आधा था स्वर्ग छोड़ा
बढ़ते कदम को हमने,
शांति के पथ पे मोड़ा।
विवश जो किया अब के,
प्रलय का नाच होगा।
कहो रहे कि मौन हम कब तक
अब की बार रण होगा।
हर बार यही थी कोशिश,
कि प्रेम बढ़े, व्यवहार बढ़े,
आना जाना हो दोनों का
और शांति की बयार बहे।
पर तेरे झूठे वादों पर,
विश्वास अब ना होगा।
कहो रहे कि मौन
अब हम कब तक
अब की बार रण होगा।